ग्रहण दोष क्या होता है
ग्रहण दोष दो स्थिति में निर्मित होता है सूर्य के साथ राहु और केतु छाया ग्रह हो तो सूर्य ग्रहण और चंद्रमा के साथ राहु केतु छाया ग्रह हो तो उसे चंद्र ग्रहण कहते हैं
ग्रहण दोष के प्रभाव=सूर्य ग्रहण कुंडली के जैसे भाव को ग्रसित करता है उसका फल कमजोर करता है और विशेष रूप से मान सम्मान पद प्रतिष्ठा शासकीय कार्यों में रुकावटें डालता है पिता से विचार नहीं मिलते
एवं चंद्र ग्रहण होने पर भाव के साथ-साथ मानसिक स्थिति कमजोर करता है माता के साथ अच्छे संबंध नहीं रहते तथा अपने आप से खुद भी पीड़ित रहता है
संक्षिप्त उपाय=सूर्य ग्रहण में सूर्य आराधना ग्रहण काल में विशेष दान चंद्रमा में पूर्णिमा के उपवास आराधना और दान एवं माता कि सेवा।